भारतीय माँ-बाप अपने लड़कों की परवरिश सही ढंग से नहीं कर रहे, जिसकी वजह से भारत की लड़कियाँ खतरे में हैं|

    बैंगलोर में हुई घटना ने एक बार फिर याद दिलाया है कि हिन्दुस्तानी लड़कों को लड़कियों के बारे में दी जाने वाली सीख में कितनी ख़ामियाँ हैं|

    ३१ दिसम्बर, आधी रात के वक़्त, जब दुनिया सो रही थीं, भारत की औरतों की तो नींद हराम थी; एक बार फिर वो उसी सच का सामना करने को मजबूर थीं, जो वैसे भी हमें सोने नहीं देता: कि इस देश में हम आज़ाद नहीं हैं|

    इस बार ये पैग़ाम बैंगलोर के ब्रिगेड रोड और एम.जी रोड से आया, जहाँ पुलिस वालों, CCTV कैमरों और सुरक्षा के इंतेज़ाम के बावजूद कितनी ही लड़कियों के साथ बदसलूकी हुई|

    उस रात की तसवीरें बर्बादी की एक झलक है|

    कितने ही आदमी मानो लड़कियों के साथ बदतमीज़ी करने, उनका शोषण करने का जैसे मौक़ा ढूँढ रहे हों|

    उस रात की तसवीरें बर्बादी की एक झलक है| जवान औरतें, अपने हाथों में हील्स और चहरे पे दहशत लिए आदमियों की एक भीड़ से ख़ुद को बचने के लिए भाग रही हैं| घबराई हुई औरतें पुलिस वालों के पास पहुँचीं तब भी आदमियों ने उन्हें घूरना नहीं छोड़ा|

    कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वरम ने हमले के लिए उन लड़कियों की ‘पश्चिमी पोशाकों’ को दोषी ठहराया है|

    बहुत से आदमियों ने मिलकर बहुत सी औरतों पर हमला किया|

    समाजवादी पार्टी के एम.अल.ए अबू आज़मी ने भी उनका साथ दिया--- अगर औरतें छोटे कपड़े पहनकर घर के किसी मर्द के बग़ैर बहार निकलेंगी तो ऐसे हादसे तो होने ही हैं|

    लेकिन सच सिर्फ यही है: बहुत से आदमियों ने मिलकर बहुत सी औरतों पर हमला किया|

    पर हुआ वही जो हमेशा होता हैं; हर्ज़ाना औरतों को ही चुकाना पड़ा, क्यूंकि सारा इलज़ाम उनके सर पर डाल दिया गया|

    जब ट्विटर पर औरतों ने मर्दों की उस मानसिकता पर आक्रोश ज़ाहिर किया जिसके कारण बैंगलोर में होने वाली ऐसी घटनाएं मुमकिन हो पाती हैं, तो सैकड़ों आदमियों को ये बात रास न आई| उन्होंने इस बात पे जोर दिया कि इस तरह का सामान्यकरण जायज़ नहीं क्यूंकि सारे मर्द औरतों को बेईज्ज़त नहीं करते|

    दिन भर भारत में ट्विटर पर #Notallmen ट्रेंड करता रहा| जब बात औरतों पर होने वाले हमलों की ज़िम्मेदारी लेने की आती है, तो इस क़दर झुंझला जाते हैं हिन्दुस्तानी मर्द!

    हालांकि उस लड़की के लिए जो हिंदुस्तान में पैदा हुई है, ये कोई नयी ज़िम्मेदारी नहीं है| इसकी शुरुआत तो घर से ही होती है|

    दिन भर भारत में ट्विटर पर #Notallmen ट्रेंड करता रहा|

    उन सैकड़ों आदेशों के बारे में सोचिये जो आपको मुंह ज़बानी याद हैं: उकसाने वाले कपड़े मत पहनो| देर तक बहार मत रहो| रात को अकेले बहार मत निकलो| सूरज ढलने के बाद पब्लिक ट्रांसपोर्ट मत लो| किसी दोस्त(लड़के) से कहना तुम्हें घर छोड़ दे| ऑफिस से वक़्त पर निकलो| अजनबियों को देखकर मुस्कुराओ मत| एक स्कार्फ़ साथ रखो| पेपर स्प्रे| ज़्यादा पीना मत| ख़ुद को ढक कर रखो| चलते समय किसी को फ़ोन पे साथ रखो| ध्यान रखो, ध्यान रखो, ध्यान रखो!

    हर चेतावनी के अंत में एक ही घातक शब्द जुड़ा है: वरना...

    और कहने का मतलब ये है की अगर आप पर हमला हुआ तो ज़रूर आपने पूरी सावधानी नहीं बरती होगी| ग़लति आपकी है|

    मैं अपने माँ-बाप को दोष नहीं देती| मैं किसी भारतीय लड़की के माँ-बाप को दोष नहीं देती| हमारे माँ-बाप हमारा भला चाहते हैं|

    हर चेतावनी के अंत में एक ही घातक शब्द जुड़ा है: वरना...

    हम सबने इस रोकथाम के पीछे झेंप भरी सफाई सुनी है: हमें तुम पर भरोसा है, दुनिया पर नहीं|

    और वो सही हैं| बैंगलोर ने हमें याद दिलाया--- जैसे दूसरे शहर, दूसरे हादसों और दूसरी हेडलाइंस ने हमें महीने दर महीने याद दिलाया--- कि ये दुनिया एक हिन्दुस्तानी लड़की के विश्वास के लायक़ नहीं है|

    हो सकती है; जितने विचार-विमर्श करके यहाँ की बेटियों को पाला जाता है अगर उसका आधा भी हिन्दुस्तानी लड़कों की परवरिश में लगाया जाए तो दुनिया विश्वास के लायक़ हो सकती है| मगर लड़कों की परवरिश में उन्हें दी जाने वाली आज़ादी तो असीमित है| क्योंकि लड़कों के लिए शारीरिक शोषण रोज़ की समस्या नहीं है, इसलिए इसका तो ज़िक्र भी नहीं होता|

    आख़िरकार, लड़कियों के माँ-बाप शारीरिक शोषण पर रोक नहीं लगा सकते| वो केवल चेतावनी दे सकते हैं और उम्मीद कर सकते हैं कि सब ठीक होगा, उस दुनिया से उम्मीद जिस पर वो भरोसा नहीं करते|

    वहीँ दूसरी ओर बेटों की परवरिश करने वाले माँ-बाप के पास वो ताक़त है जिससे दुनिया बदली जा सकती है|

    तो अगर आप भारत में एक लड़के को पाल रहे हैं, हमारी ज़िन्दगी आपके हाथों में है|

    तो अगर आप भारत में एक लड़के को पाल रहे हैं, इसे हमारी एक विनति समझिये| हमारी ज़िन्दगी आपके हाथों में है|

    इसके बजाय कि हमारे माँ-बाप हमें सतर्क रहना सिखाएं, आप अपने बेटों को मंज़ूरी और मर्ज़ी के बारे में सिखाइए|

    इसके बजाय कि हमारे माँ-बाप हमें डरना सिखाएं, आप अपने बेटों को इज्ज़त करना सिखाइए|

    अपने बेटों को लैंगिक समानता के बारे में सिखाइए| उन्हें ‘न’ का मतलब सिखाइए| (आपकी मदद के लिए: न का मतलब न ही होता है|)

    अपने बेटों को ‘न’ का मतलब सिखाइए|

    अपने बेटों को सिखाइए की न उसका किसी औरत के शरीर पर कोई अधिकार है न उसके वक़्त पर|

    इसके बजाय कि हमारे माँ-बाप हमें शर्म सिखाएं, आप अपने बेटों को पर्सनल स्पेस के बारे में सिखाइए|

    इसके बजाय की हमारे माँ-बाप हमें नज़रें चुराना सिखाएं, आप अपने बेटों को सिखाइए कि वो घूरना बंद करें|

    अपने बेटों को स्वस्थ मर्दानगी, स्वस्थ प्रेम, और स्वस्थ यौन रिश्तों के बारे में सिखाइए|

    उन्हें सिखाइए कि बलात्कार जैसे जुर्म से; हर औरत पर होने वाले हमले से उनके अन्दर ग़ुस्सा पैदा होना चाहिए न की सिर्फ उस जुर्म से जो उन औरतों के साथ होता है या हो सकता है जिन्हें वो माँ, बहन और बीवी कहते हैं| ये सिखाइए की सभी लोगों की, सभी लिंग के लोगों की बराबर इज्ज़त होनी चाहिए|

    प्यार बनाना पड़ता है, ज़बरदस्ती नहीं करवाया जाता|

    आपका नन्हा-मुन्ना ऐसी फिल्में देखेगा जिनमें लड़की का पीछा करने से; उसे तंग करने से हीरो को लड़की हासिल हो जाती है| उन्हें सिखाइए कि जो वो देख रहे हैं वो दरअसल एक जुर्म है| अपने लड़कों को उस ज़हरीली मानसिकता से बचाइए जो उनके सही-ग़लत की समझ को भ्रष्ट कर सकती है|

    उन्हें सिखाइए कि प्यार बनाना पड़ता है, ज़बरदस्ती नहीं करवाया जाता| कि सेक्स आपसी सहमति से करने वाला काम है, कोई छीन कर लेने वाली चीज़ नहीं|

    पिताओं, आपके लड़के औरतों के साथ कैसा बर्ताव करते हैं ये वो आपका औरतों के प्रति बर्ताव देखकर सीखेंगे| बतलाइए की आप इज्ज़त करते हैं| दर्शाइए की आप बराबरी में विश्वास रखते हैं| अपने बेटों को सिखाइए की दूसरे मर्दों को बराबरी का सबक़ सिखाना भी मर्दानगी है|

    दूसरे मर्दों को बराबरी का सबक़ सिखाना भी मर्दानगी है|

    उन्हें जज़्बात ज़ाहिर करना सिखाइए| ये सिखाइए कि हिंसक होना कितना ग़लत है| कि कोई भी इंसान, चाहे वो जो भी पहेने या पिए, हिंसा का हक़दार नहीं है|

    इसके बजाय की हमारे माँ-बाप हमें आदमियों से होशियार रहना सिखाएं, आप लड़कों की ऐसी परवरिश कीजिये कि वो बड़े होकर ऐसे आदमी बनें जिनसे डरने की ज़रूरत न पड़े|

    इसके बजाय कि हमारे माँ-बाप हमें हमले से बचना सिखाएं, आप अपने लड़कों को सिखाइए कि लड़कियों पर हमला करना माफ़ी के क़ाबिल नहीं है|

    इसके बजाय कि हमारे माँ-बाप हमें एक बेईमान दुनिया में जीना सिखाएं, आप अपने लड़कों को इसे बदलना सिखाइए|





    यह लेख पहले अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ था। इसका हिंदी अनुवाद अदिति अरोरा द्वारा किया गया है।